गुरुवार, 20 मई 2010

राजक च्यल

मिं
आपंण बा्बुक तैं
`रा्जक च्यल´
तुमि लै
हौर सा्रि दुणीं
सब्बै,
भो म्यर भौ,
तुमर
हौर सा्रि दुणिया्क
च्या्ल लै-`रा्जक च्यल´
`राजकुमार !´

धर्ति उतुकै
जतुक छी
जुगन पैली
कसी बणा्ल सब्बै रा्ज
के् पारि करा्ल राज
लड़ा्ल नैं
करा्ल कि
लुका्र खपिरन कैं
हत्यूंण हुं।

मिं नि कूंल
आपंण भौ कैं
`रा्जक च्यल´
मिं कूंल उथैं `भौ´
सिरफ `भौ´
`म्यर भौ´
करूंल लाड़
सिरफ लाड़
अर द्यूल भलि शिक्ष
भलि बांणि
और मिं बणूंल
अर चूंल
उ बणौ
भल आदिम
सिरफ भल आदिम।



हिंदी भावानुवाद:


मैं,
अपने पिता के लिऐ
राजा बेटा
आप भी,
और सारी दुनिया-
सभी,
कल मेरा बच्चा,
आपका
और सारी दुनिया के
बच्चे भी (उनके लिए) राजा बेटे
`राजकुमार´ !

धरती उतनी ही
जितनी थी
युगों पहले
कैसे बनेंगे सभी राजा
किस पर करेंगे राज
लडेंगे नहीं तो
करेंगे क्या
दूसरों के टुकड़ों को
हथियाने के सिवाय।

मैं नहीं कहूंगा
अपने बेटे से
राजा बेटा
मैं कहूंगा उससे `बेटा´
सिर्फ `बेटा´
`मेरा बेटा´
करूंगा लाड़
सिर्फ लाड़
और दूंगा अच्छी शिक्षा
अच्छी वाणी
और मैं बनाऊंगा
और चाहूंगा
कि वह बने
अच्छा मनुष्य
सिर्फ अच्छा मनुष्य।