आजा्क अखबारों में छन खबर
आतंकवाद, हत्या, अपहरण,
चोर-मार, लूट-पाट, बलात्कार
ठुल हर्फन में
अर ना्न हर्फन में
सतसंग, भलाइ, परोपकार।
य छु पछ्यांण
आइ न है रय धुप्प अन्या्र
य न्है, सब तिर बची जांणौ्क निसांण
य छु-आ्जि मस्त
बचियक चिनांड़।
किलैकि ठुल हर्फन में
छपनीं समाचार
अर ना्न हर्फन में-लोकाचार।
य ठीक छु बात
समाचार बणनईं लोकाचार
अर लोकाचार-समाचार।
जसी जाग्श्यरा्क जागनाथज्यूक
हातक द्यू
ऊंणौ तलि हुं।
संचि छु हो,
उरी रौ द्यो,
पर आ्इ लै छु बखत।
जदिन समाचार है जा्ल पुररै लोकाचार
और लोकाचार छपा्ल ठुल हर्फन में
भगबान करों
झन आवो उ दिन कब्भै।
हिन्दी भावानुवाद
आज के अखबारों में हैं खबर
आतंकवाद, हत्या, अपहरण
चोरी, डकैती व बलात्कार की
मोटी हेडलाइनों में
और छोटी खबरें
सतसंग, भलाई व परोपकार की।
यह पहचान है
अभी नहीं घिरा है धुप्प अंधेरा।
यह नहीं है पहचान, सब कुछ खत्म हो जाने की
यह है अभी बहुत कुछ
बचे होने के चिन्ह।
क्योंकि मोटी हेडलाइनों में छपते हैं समाचार
और छोटी खबरों में लोकाचार।
हां यह ठीक है कि
समाचार बन रहे लोकाचार
जैसे जागेश्वर में जागनाथ जी की मूर्ति के हाथों का दीपक
आ रहा है नींचे की ओर।
सच है,
आने वाली है जोरों की बारिश प्रलय की
पर अभी भी समय है
जब समाचार पूरी तरह बन जाऐंगे लोकाचार,
और लोकाचार छपेंगे मोटी हेडलाइनों में।
ईश्वर करें
ऐसा दिन कभी न आऐ।
आतंकवाद, हत्या, अपहरण,
चोर-मार, लूट-पाट, बलात्कार
ठुल हर्फन में
अर ना्न हर्फन में
सतसंग, भलाइ, परोपकार।
य छु पछ्यांण
आइ न है रय धुप्प अन्या्र
य न्है, सब तिर बची जांणौ्क निसांण
य छु-आ्जि मस्त
बचियक चिनांड़।
किलैकि ठुल हर्फन में
छपनीं समाचार
अर ना्न हर्फन में-लोकाचार।
य ठीक छु बात
समाचार बणनईं लोकाचार
अर लोकाचार-समाचार।
जसी जाग्श्यरा्क जागनाथज्यूक
हातक द्यू
ऊंणौ तलि हुं।
संचि छु हो,
उरी रौ द्यो,
पर आ्इ लै छु बखत।
जदिन समाचार है जा्ल पुररै लोकाचार
और लोकाचार छपा्ल ठुल हर्फन में
भगबान करों
झन आवो उ दिन कब्भै।
हिन्दी भावानुवाद
आज के अखबारों में हैं खबर
आतंकवाद, हत्या, अपहरण
चोरी, डकैती व बलात्कार की
मोटी हेडलाइनों में
और छोटी खबरें
सतसंग, भलाई व परोपकार की।
यह पहचान है
अभी नहीं घिरा है धुप्प अंधेरा।
यह नहीं है पहचान, सब कुछ खत्म हो जाने की
यह है अभी बहुत कुछ
बचे होने के चिन्ह।
क्योंकि मोटी हेडलाइनों में छपते हैं समाचार
और छोटी खबरों में लोकाचार।
हां यह ठीक है कि
समाचार बन रहे लोकाचार
जैसे जागेश्वर में जागनाथ जी की मूर्ति के हाथों का दीपक
आ रहा है नींचे की ओर।
सच है,
आने वाली है जोरों की बारिश प्रलय की
पर अभी भी समय है
जब समाचार पूरी तरह बन जाऐंगे लोकाचार,
और लोकाचार छपेंगे मोटी हेडलाइनों में।
ईश्वर करें
ऐसा दिन कभी न आऐ।
सही बात छू | भगबान करो ऊँ दिन कभ्भें झन आओ|
जवाब देंहटाएंआजा्क अखबारों में छन खबर
जवाब देंहटाएंआतंकवाद, हत्या, अपहरण,
चोर-मार, लूट-पाट, बलात्कार
ठुल हर्फन में
अर ना्न हर्फन में
सतसंग, भलाइ, परोपकार....
sunder post hetu abhaarrrrr.
Bahut sundar prastuti... Garhwali ka hindi anuvad kar sarvsulabh karne ka prayas bahut achha laga...
जवाब देंहटाएं..sundar bhavon se tirohit rachna ke liye aabhar
बुरांश की मार्फ़त आपके ब्लॉग पर पहुंचा हूँ...... यहाँ आकर अच्छा लगा.............यह कविता मूल कुमाउनी में जो प्रभाव छोडती है हिंदी अनुवाद इतना व्यक्त नहीं कर पाता. ................वैसे भी कोई भी रचना आपने मूल रूप में जितनी भावप्रद और प्रभावशाली होती है वह अनुवाद में नहीं हो सकता है, अनुवाद चाहे लेखक स्वयं ही क्यों न करे. .....बहरहाल!.........विचारोत्तेजक रचना के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सभी को, फिरदौस जी, Patali, भाकुनी जी, कविता जी और सुबीर जी, मेरे ब्लॉग पर आने और पसंद तथा टिप्पणी देकर उत्साहवर्धन करने के लिए..
जवाब देंहटाएंसुबीर जी, ठीक कह रहे हैं, कुमाऊनी कविता सबकी समझ में आ जाए, इसलिए हिन्दी भावानुवाद भी दे रहा हूँ.