शनिवार, 24 नवंबर 2012

आम आदिम-आम आदमी


मिं ए आम आदिम
यै है बांकि 
के नैं।
मिं के लै नैं।

म्या्र स्वींड़ के नैं
म्या्र क्वीड़ के नैं
म्येरि पीड़ के नैं
पर म्येरि घींण करनी सब्बै।
किलैकि,
मिं ए आम आदिम
यै है बांकि के नैं.......।

म्या्र गीत के नैं
म्यार रीत के नैं
म्येरि प्रीति के नैं
म्येरि जीत न हुनि कब्बै।
किलैकि,
मिं ए आम आदिम
यै है बांकि के नैं.......।

म्येरि डाड़ के नैं
म्यर लाड़ के नैं
म्या्र हाड़ के नैं
मिं हूं खाड़ खंड़नी सब्बै।
किलैकि,
मिं ए आम आदिम
यै है बांकि के नैं.......।

म्येरि अकल के नैं
म्येरि शकल के नैं
म्यर बल के नैं
म्यर जस पगल नि मिलल कब्बै।
किलैकि,
मिं ए आम आदिम
यै है बांकि के नैं.......।

म्यर नौं है सकूं के लै
म्यर गौं है सकूं क्वे लै
सकींण लागि गे मेरि लौ लै
बंणि गे ए ’घौ’ म्येरि ज्यूनि हुत्तै।
किलैकि,
मिं ए आम आदिम
यै है बांकि के नैं.......।

क्वे कै दियो वी ’हाथ’ म्या्र दिगाड़ि
क्वे थमै दियो म्या्र हात में ’फूल’
क्वे बंणै दियो म्येरि नौं कि’ई पार्टी
उनूं छोड़ि, होली म्येरि भलिआम कब्बै ?
किलैकि,
मिं ए आम आदिम
यै है बांकि के नैं.......।

हिंदी भावानुवाद

मैं एक आम आदमी
इससे अधिक 
कुछ नहीं
मैं कुछ भी नहीं।
क्योंकि,
मैं एक आम आदमी
इससे अधिक कुछ भी नहीं।

मेरे सपने कुछ नहीं
मेरी बातें कुछ नहीं
मेरे दर्द कुछ नहीं
लेकिन मुझसे घृणा करते हैं सभी।
क्योंकि,
मैं एक आम आदमी
इससे अधिक कुछ भी नहीं।

मेरे गीत कुछ नहीं
मेरे तौर-तरीके कुछ नहीं
मेरा प्यार कुछ नहीं
मेरी जीत नहीं होती कभी।
क्योंकि,
मैं एक आम आदमी
इससे अधिक कुछ भी नहीं।

मेरा रोना कुछ नहीं
मेरा दुलार कुछ नहीं
मेरी हड्डियां (हो चुकीं तो) कुछ नहीं
मेरे लिये गड्ढे ही खोदते हैं सभी।
क्योंकि,
मैं एक आम आदमी
इससे अधिक कुछ भी नहीं।

मेरी अक्ल कुछ नहीं
मेरी शक्ल कुछ नहीं
मुझमें बल कुछ नहीं
मुझ सा पागल नहीं मिलेगा कहीं।
क्योंकि,
मैं एक आम आदमी
इससे अधिक कुछ भी नहीं।

मेरा नाम हो सकता है कुछ भी
मेरा गांव हो सकता है कहीं भी
खत्म होने लगी है मेरी आत्मिक शक्ति भी
एक घाव बन गई है मेरी पूरी जिंदगी।
क्योंकि,
मैं एक आम आदमी
इससे अधिक कुछ भी नहीं।

कोई कह दे उसका ’हाथ’ मेरे साथ
कोई पकड़ा दे मेरे हाथ में ’फूल’
कोई बना दे मेरे नाम से ही पार्टी
उनके बजाय क्या हो सकता है मेरा भला कभी ?
क्योंकि,
मैं एक आम आदमी
इससे अधिक कुछ भी नहीं।