रविवार, 13 जुलाई 2014

कुमाउनी का पहला फार्मेट में भी उपलब्ध कविता संग्रह-"उघड़ी आंखोंक स्वींण"

जैल थै, वील पै

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एक कुमाउनी नाटक- खास मेरे सहपाठी दोस्तो की लिये (Characters and Plot has been Changed)
http://navinjoshi.in/?attachment_id=2602

गुरुवार, 22 मई 2014

पहली कुमाउनी, गढ़वाली व जौनसारी लोक भाषाओं की मासिक पत्रिका ‘कुमगढ़’ प्रकाशित

उत्तराखंड की पहली कुमाउनी, गढ़वाली व जौनसारी सहित समस्त लोक भाषाओं की मासिक पत्रिका ‘कुमगढ़’ का पहला अंक प्रकाशित हो गया है।

पत्रिका की प्रति सुरक्षित करवाने, नियमित या आजीवन सदस्यता लेने एवं आगामी अंकों के लिए अपने मौलिक लेख, कविताएं आदि प्रेषित करने के लिए पताः
श्री दामोदर जोशी ‘देवांशु’
संपादक-कुमगढ़ पत्रिका
हिमानी वाङमय पीठ, पश्चिमी खेड़ा, पोस्ट-काठगोदाम, जिला-नैनीताल, पिन-263126। मोबाइलः 9719247882। ईमेलः kumgarh@gmail.com ।

सदस्यता राशिः सदस्यता (संरक्षक): रुपए 5000
आजीवन सदस्यताः रुपए 1000
विशेष सहयोगः रुपए 500
वार्षिक सहयोगः रुपए 100
एक प्रतिः रुपए 20