ओ उच्च अगाश में भैटी ता्रो
मणीं मुंणि हुणि त चा्ओ !बचै ल्हिओ म्या्र घर कैं
वां गाड़ ऐ रै।
हर तरफ बगणौ गरम पांणि
खून कूंछी-जकैं मैंस
मलि जिहाज में उड़ि
सरकार चुनावौ्क निसांण ल्यै रै।
मिं लै जै ऊंछी मणीं,
सुणि ऊंछी वीक हवाइ स्वींण
कि करूं म्यर नौं कै बेर
उ इतू टाड़ बै ऐ रै।
म्या्र गिजन हासिल न्हैं हंसि
चलो यौ के बात नि भै
यां तौ सबूकै लिजी
आंसनै्कि यैसि गाड़ ऐ रै।
म्या्र घर लै ऊंछी सौंण
झुलछी झुल भै-बैंणी
अफसोस आ्ब न लागा्ल
पैलियै यैसि डाड़ ऐ रै।
समेरि हा्ली मैंल लै
आपंण समान, छा्र और मा्ट
पर भा्जूं त कॉ भाजूं
मैंस कूनईं-भा्जो बाड़ ऐ रै।