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मंगलवार, 1 अक्टूबर 2013

पनर अगस्ता्क दिन


आज छि छुट्टि
करौ मैंल ऐराम
स्येई रयूं दिनमान भरि
लगा टी.बी.-
क्वे पिक्चर न ऊंणैछी
बजा रेडू-
कैं फिल्मी गीत न ऊंणाछी
सब ठौर ऊंणाछी भाषण
द्यखंण पणीं-सुणंण पणीं
सुंण्यौ-भारत माताकि जैक ना्र
करीब सात म्हैंण पछां
पैल फ्यार
छब्बीस जनवरीक पछां ।
तिरंग फहरूंणाछी मंत्रिज्यू (?) राजधाणि में
खालि शान करंण बा्ट
ड्वार पारि ठौक लगूंणाछी
ख्वर नांगड़ !
कि पैरी धर्मनिरपेक्ष अलोप टोपि (पत्त नैं)
कैसिट में बा्जणौछी-राष्ट्रीय गीत
सब खाल्लि ठा्ड़ छी
तिरंगाक सामुणि
गिज बुजि,
खा्जि-खुजै...
मांछर उणूंण छुं
कि गरमैल
हात-खुट हल्कूंणाछी ।
फ़िरि ग्येई मंत्रिज्यू अलग-अलग जा्ग
भाषण द्येईं, झंड फहराईं
पैरि ए जा्ग राम टोपि
दुसरि जा्ग रहीम टोपि
तिसरि जा्ग टोपिक जा्ग टोप
फीरि  चौथ जा्ग पागड़ !
ब्याव हुं सब तिर
धरी द्येईं समाइ बेर
उ झंड, उं कैसिट
उं देशभक्तिक गीत,
ना्र, भाषण,
उं शहीदौंक क्वीड़
उं देशभक्तिक किस्स....
............सब तिर
और फिरि-
सब स्ये ग्ये्ईं-म्येरि’ई चार
द्वि अक्टूबर तलक ।

(स्व. नरसिम्हाराव ज्यूक प्रधानमन्त्रित्व काल में 'पनर अगस्ता्क दिन' लेखी कविता)